क्षेत्रीय समाचारविज्ञान

सोनीपत में बनेगी अत्याधुनिक वायुमंडलीय वेधशाला

नई दिल्ली: पर्यावरण संबंधी शोध-अध्ययनों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली एक उत्कृष्ट एवं अत्याधुनिक वायुमंडलीय वेधशाला (एटमॉसफेरिक ऑब्जरवेटरी) स्थापित करने जा रही है। यह वेधशाला संस्थान के सोनीपत परिसर में संचालित होगी। इसके लिए गुरुवार को आईआईटीदिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉसफेरिक साइंसेज (सीएएस) में भूमि पूजन समारोह आयोजित किया गया। वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हुए इस आयोजन में मुख्य अतिथि रहे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. माधवन नायर राजीवन ने कार्य के शुभारंभ को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर आईआईटी दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव, उपनिदेशक (रणनीति एवं नियोजन) प्रोफेसर अशोक गांगुली के अलावा सोनीपत परिसर से भी कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

इस बहुउद्देशीयकेंद्र के लिए आईआईटी दिल्ली ने सोनीपत परिसर को सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध करा दिए हैं। गंगा के मैदानी इलाके में यह अपनी किस्म की पहली और अनूठी वेधशाला होगी, जो भयावह होते जा रहे वायु प्रदूषण, मानसून के बिगड़ते चक्र के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही प्रतिकूल मौसमी परिघटनाओं पर गहन अध्ययन एवं विश्लेषण में शोधकर्ताओं के लिए सहायक होगी।

भूमि पूजन समारोह में संबोधन के दौरान डॉ. राजीवन ने वेधशाला को एक‘महत्वाकांक्षी पहल’ बताया और कहा कि उनके मंत्रालय से इसे हरसंभव सहयोग मिलेगा, क्योंकि इसका लक्ष्य भी मंत्रालय के उन प्रयासों के अनुरूप ही है जिसमें हम अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाकर वायु प्रदूषण, मौसम और जलवायु के अवलोकन एवं मॉडलिंग के माध्यम से उनका बेहतर आकलन करने में जुटे हैं।

State-of-the-art atmospheric observatory to be built in Sonipat

इस अवसर पर आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रामगोपाल राव ने कहा, ‘यह वेधशाला देश भर के शोधार्थियों के लिए खुली होगी। साथ ही इसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी जिससे इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्नोलॉजी, मापन तकनीक विकसित करने के साथ ही बेहतर सैटेलाइट रीट्रिवल अलॉगरिदम के अलावा डाटा के उपयोग से मौसम एवं जलवायु मॉडल में उन्नयन किया जाएगा। देश में इस अनोखी वेधशाला के लिए आवश्यक संसाधन सुनिश्चित करने के लिए हम विभिन्न अंशभागियों से भी संपर्क कर रहे हैं। इसके माध्यम से हमें उन समस्याओं के समाधान तलाशने में मदद मिलेगी, जिनसे फिलहाल हमारा समाज जूझ रहा है।’

सीएएस के प्रमुख प्रो. कृष्णा अच्युताराव ने कहा, ‘यह वेधशाला रडार, लिडार, मास स्पेक्टोमीटर्स और सैटेलाइट ग्राउंड स्टेशन जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होगी। यहां वायु प्रदूषण के कारकों, ग्रीनहाउस गैसों, बादलों, विकिरण और अन्य पहलुओं के अवलोकन के जरिये वैज्ञानिक कदम उठाए जाएंगे।’ हाल के दौर में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याएं न केवल देश, बल्कि पूरी दुनिया को परेशान कर रही हैं। इस कारण ऐसी किसी वेधशाला की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। इसके माध्यम से कई मौसमी प्रक्रियाओं की बेहतर समझ विकसित कर उनके लिए नीतिगत समाधान तलाशने में मदद मिलेगी।

इस वेधशाला के लिए सोनीपत एकदम उपयुक्त स्थान है। इसके कई कारण हैं। एक तो यह स्थान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के निकट स्थित है, जिससे न केवल धूल और वायु प्रदूषण प्रदूषण की बेहतर पड़ताल की जा सकेगी, बल्कि कई अन्य वैज्ञानिक पहलू भी इसे माकूल स्थान बनाते हैं जहां से दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन के कारकों की टोह ली जा सकती है। (इंडिया साइंस वायर)

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