विज्ञान

भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए नई राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति

नई दिल्ली (इंडिया साइंस वायर): विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने और अगले दशक में वैज्ञानिक शोध एवं विकास के मामले में देश को विश्व के अग्रणी राष्ट्रों की पंक्ति में लाने को लक्ष्य कर बनायी गई नई विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा है कि “नई नीति तेजी से बदलते समय के अनुसार चलने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी।” कोविड-19 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ नई समस्याएं उभर रही हैं, जिन्हें केवल विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से ही हल किया जा सकता है। यह नीति इस दिशा में उठाया गया एक प्रभावी कदम है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने ये बातें बुधवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कही हैं।

महत्वपूर्ण मानव संसाधन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ओर आकर्षित एवं पोषित करने के साथ-साथ उन्हें इस क्षेत्र में बनाए रखने के लिए इस नीति के अंतर्गत ‘जन-केंद्रित’ पारिस्थितिक तंत्र विकसित करने पर जोर दिया गया है। नई नीति में, हर पाँच साल में पूर्णकालिक समतुल्य शोधकर्ताओं की संख्या, शोध एवं विकास पर सकल घरेलू व्यय (जीईआरडी) और जीईआरडी में निजी क्षेत्र के योगदान को दोगुना करने पर भी बल दिया गया है। कहा जा रहा है कि ये तमाम प्रयास अगले दशक के दौरान विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में व्यक्तिगत एवं संस्थागत उत्कृष्टता स्थापित करने में मददगार होंगे, और देश को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। नीति का मसौदा सार्वजनिक परामर्श एवं सुझाव के लिए उपलब्ध करा दिया गया है। 

विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति सचिवालय के प्रमुख डॉ अखिलेश गुप्ता ने कहा है कि “यह नीति विकेंद्रीकरण, साक्ष्य-आधारित, नीचे से ऊपर केंद्रित दृष्टिकोण और समावेशी भावना के मूल सिद्धांतों पर आधारित है।” उन्होंने बताया कि नई नीति के मसौदे को तैयार करने में देशभर में व्यापक विचार-विमर्श किया गया है, जिसमें पहली बार राज्यों की भागीदारी भी शामिल है। मसौदा निर्माण प्रक्रिया के दौरान करीब 300 चरणों में परामर्श किया गया है, जिसमें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, आयु वर्ग, लिंग, शैक्षिक पृष्ठभूमि व आर्थिक स्तर के 40 हजार से अधिक साझेदार शामिल रहे हैं। विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति सचिवालय का समन्वयन, समर्थन एवं निर्देशन भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, नीति आयोग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किया जा रहा था।

मसौदा नीति में वैज्ञानिक शोध-पत्रों और साहित्य को देश में सभी के लिए सुलभ बनाने की बात भी कही गई है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि “भारत सरकार शोध-पत्रिकाओं के प्रकाशकों से ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ योजना को अमल में लाने के लिए बातचीत करेगी, जिसके अंतर्गत एक केंद्रीकृत भुगतान के आधार पर शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले शोध-पत्रों तक देश में सभी के लिए पहुँच सुलभ हो सकेगी। यह पहल शोध-पत्रों के लिए संस्थागत सदस्यता के स्वरूप को बदल देगी।”

पिछले काफी समय से चल रही परामर्श की चार चरणों वाली प्रक्रिया के माध्यम से नीति का मसौदा तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रित एक बेहतर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करके लघु, मध्यम और दीर्घकालिक मिशन मोड वाली परियोजनाओं के माध्यम से बड़ा बदलाव लाना है, जो व्यक्ति और संगठन दोनों स्तर पर अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देता है। मसौदे को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की वेबसाइट पर सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया है। नीति के मसौदे पर सुझाव और टिप्पणियां सोमवार 25 जनवरी, 2021 तक ई-मेल: [email protected] पर साझा की जा सकती हैं। नीति के मसौदे का लिंक डीएसटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। (इंडिया साइंस वायर)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button