देशभर से आए कवियों की रचनाओं से गुंजा रामलीला मैदान
सूरत। वेसू के रामलीला मैदान पर शनिवार को राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट की ओर से किया गया। देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवि ने कवि सम्मेलन में अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में ट्रस्ट के मंत्री अनिल अग्रवाल और पदाधिकारियों ने आए कवियों का स्वागत किया।
बता दें कि अनिल अग्रवंशी (हास्य), दिलीप शर्मा (हास्य) , गोबिंद राठी ( हास्य- व्यंग, मंच संचालक),हिमांशु हिंद, सुनहरी लाल तुरंत (हास्य) व प्रिया खुशबू (श्रंगार) ने इस कवि सम्मेलन की शोभा बढ़ाई। शारदे को नमन कर कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई और इतने पूरे रामलीला मैदान में शांति का माहौल बना रहा और लोगों ने मां शारदे को नमन करने के बाद एक एक कर सभी कवि की प्रस्तुति पर जमकर तालियां बजाई। कवि सम्मेलन में शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
दिल्ली से पहुंचे हास्य कवी अनिल अग्रवंशी अपने अंदाज में अनेक फुलझडियां छोड़ी और उनकी कविता
चेहरे पे हंसी दिल में खुशी होती है
सही माईने में यहीं जिंदगी होती है।
हंसना किसी इबादत से कम नहीं।
किसी ओर को हंसा दो तो बंदगी होती है।।
गोबिंद राठी ( हास्य- व्यंग, मंच संचालक) ने हर युग में सियासत की अपनी अपनी व्यवस्थाएं होती है, पहले द्रोपदीयों की इज्जत सभाओं में लुटती थी। आजकल इज्जत लुटने के बाद, सभाएं होती हैं।। रचना सुनाई।
हिमांशु हिन्द ने श्रीराम पर पर रचना सुनाई, वर्षो के संघर्षो का, परिणाम निकलने वाला है। जन्मभूमि पर रामलला का मंदिर बनने वाला है।।
प्रेम व श्रृंगार रस की कवयित्रि प्रिया खुशबू ने रचना सुनाई,
सोच ले तलवों में कांटों को चुभोने वाले।
हम नहीं रोएगें की हम नहीं रोने वाले।।
तैरने का हुनर आता है हमें ए खूशबू।
डूब जाएगें ये सब हमको डुबोने वाले।।
व्यंग से चुटीले तीर चलाने वाले सुनहरीलाल तुरंत ने सुनाया,
छत टपके तो फव्वारों का मजा लेते हैं
टूटे कमरे में बहारों का मजा लेते हैं।
मूंगफर्लियों को भी बादाम समझ खाते हैं।
बेर खा करके छुआरों का मजा लेते हैं।।