राष्ट्रीय समाचारविज्ञान

विज्ञान और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर सम्मेलन

नई दिल्ली, 30 नवंबर (इंडिया साइंस वायर): भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और विज्ञान की भूमिका पर केंद्रित विज्ञान संचारकों और विज्ञान शिक्षकों के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन सोमवार को नई दिल्ली में आरंभ हो गया है। इस सम्मेलन में देशभर के विज्ञान संचारक एवं शिक्षकशामिल हो रहे हैं।

भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इसीलिए, यह सम्मलेन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय वैज्ञानिकों, विज्ञान संचारकों और विज्ञान शिक्षकों के योगदान याद करते हुए आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है, जिससे स्वंतत्रता आंदोलन के दौरान उन वैज्ञानिकों, वैज्ञानिकसंस्थानों के बेजोड़ योगदान को स्मरण किया जा सके, जिन्होंने हमारे वर्तमान विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नींव रखी।

इसमें ‘दमन के उपकरण के रूप में विज्ञान’, ‘मुक्ति के उपकरण के रूप में विज्ञान: वैज्ञानिकों की भूमिका’, ‘मुक्ति के उपकरण के रूप में विज्ञान: अकादमिक, औद्योगिक एवं अनुसंधान संस्थानों की भूमिका ‘, ‘मुक्ति के उपकरण के रूप में विज्ञानः आंदोलनों की भूमिका’, मुक्ति के उपकरण के रूप में विज्ञानः नीतियों एवं योजनाओं की भूमिका’, और मुक्ति के उपकरण के रूप में विज्ञानः वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण’ जैसे विषय शामिल हैं।

कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव एवं सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने कहा कि “स्वतंत्रता पूर्व युग में भारतीय विज्ञान के कई गुमनाम नायक थे, जैसे डॉ शंभूनाथ डे और डॉ शंकर आभा, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभायी और भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नींव रखी। उन्होंने कहा कि उनके और उनके काम के बारे में बात करने की जरूरत है, ताकि वे युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन सकें।”

आयुष मंत्रालय के सचिव, डॉ राजेश कोटेचा ने कहा, “आयुर्वेद और अन्य भारतीय चिकित्सा प्रणालियां देश की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और उन पर पर्याप्त ध्यान देने की आवश्यकता है। चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के स्वदेशी ज्ञान में बड़ी क्षमता है, और इसे यथासंभव पूर्ण रूप से उपयोग करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, अश्वगंधा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, और देश को इसकी बढ़ती मांग का सर्वोत्तम उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए।”

राष्ट्रीय संगठन सचिव, विज्ञान भारती, जयंत सहस्रबुद्धे ने भारत के वैज्ञानिकों की देशभक्ति की भावना को याद करने का आग्रह किया, जो स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अंग्रेजों की भेदभावपूर्ण और वर्चस्ववादी प्रवृत्तियों को चुनौती दे रहे थे।कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन ऐंड पॉलिसी रिसर्च (निस्पर)की निदेशक डॉ रंजना अग्रवाल और विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने भी संबोधित किया।

सम्मेलन का आयोजन सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन ऐंड पॉलिसी रिसर्च (निस्पर), विज्ञान प्रसार और विज्ञान भारती द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। (इंडिया साइंस वायर)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button