मेमोरी-चिप बनाने में भी उपयोगी हो सकता है एलोवेरा
![Aloe vera can also be useful in making memory-chip](/wp-content/uploads/2021/06/02-01.jpg)
नई दिल्ली: प्रकृति ने हमें जीवन के लिए हवा, पानी, अन्न, फल–सब्जियों के साथ- साथ अनेक औषधीय पौधे भी दिए हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी हैं। वैसे तो हमारे देश में औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का एक समृद्ध इतिहास रहा है लेकिन आज भी ऐसी अनेक वनस्पतियाँ हैं जिनकी खूबियों से हम अनजान हैं। हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर द्वारा एलोवेरा के पौधे पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि एलोवेरा के फूल के अर्क में ऐसे रासायनिक अवयव होते हैं जिनका उपयोग सूचना-भंडारण के लिए किया जा सकता है।
इस अध्ययन से जुड़ी शोधकर्ता तनुश्री घोष ने बताया कि एलोवेरा के फूलों में ऐसे रासायनिक अवयव है जिनसे इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी प्रभावित होती है और बैटरी की मदद से इन रासायनिक अवयवों का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाटा को स्टोर करने में किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि यह अपनी तरह की पहली खोज है क्योंकि अब तक किसी भी वनस्पति में इस प्रकार का कोई प्रभाव नहीं देखा गया है।
आईआईटी इंदौर के भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार ने कहा कि हमने अपने अध्ययन के दौरान एलोवेरा के फूलों के रस में विद्युत प्रवाहित की। इस प्रयोग के नतीजों से पता चला कि इसके रस में इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी के प्रभाव वाले रसायन हैं और आवश्यकता के अनुसार, इनकी विद्युत-चालकता को बढ़ाया और घटाया भी जा सकता है।
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डॉ राजेश कुमार ने आगे कहा कि मेमोरी चिप जैसे डाटा भंडारण उपकरण बनाने में कृत्रिम रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस अध्ययन से कृत्रिम रसायनों के बजाय एलोवेरा के फूलों के रस में मिले प्राकृतिक रसायनों के इस्तेमाल की नई राह खुल सकती है।
आईआईटी इंदौर ने कहा है कि यह अध्ययन इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। आईआईटी इंदौर के भौतिकी विभाग के साथ-साथ ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी व एडवांस्ड इलेक्ट्रानिक्स केंद्रों के संयुक्त तत्वावधान में किया गया यह अध्ययन संस्थान के भारतीय ज्ञान पध्दति के प्रसार को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी बल देगा।
यह अध्ययन आंशिक रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के फण्ड फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर (एफआईएसटी) विभाग और विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा समर्थित हैं।
इस शोध-अध्ययन के निष्कर्ष ‘एसीएस एप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक मैटेरियल्स’ में प्रकाशित किये गए हैं। यह अध्ययन आईआईटी इंदौर के भौतिकी विभाग की प्रयोगशाला मटेरियल्स एंड डिवाइस (मैड) में किया गया। इस अध्ययन को एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार के निर्देशन में तनुश्री घोष, सुचिता कांडपाल, चंचल रानी, मनुश्री तंवर, देवेश पाठक और अंजलि चौधरी ने अंजाम दिया गया। (इंडिया साइंस वायर)