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“स्टार्ट-अप तक सक्रिय तौर पर पहुँचे प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड”

नई दिल्ली, 02 सितंबर: “युवा स्टार्ट-अप्स के सहायता माँगने से पहले ही प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) को उनके पास सक्रिय रूप से स्वयं पहुँचना चाहिए। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) को सफलतापूर्वक उत्पादों के विकास के लिए स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र की खोज और उसका पोषण प्रभावी रूप से करना चाहिए।” प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के 25वें स्थापना दिवस पर बुधवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्रीडॉ. जितेंद्र सिंह ने ये बातें कही हैं। डॉ सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीके नये भारत की कल्पना के अनुरूप अगले 25 वर्षों का रोडमैप;कृत्रिम बुद्धिमत्ता, खगोल-विज्ञान, डेटा-विज्ञान, सौर-ऊर्जा, हरित-हाइड्रोजन जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत को वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में विकसितकरने के के उद्देश्य पर केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेमी-कंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्लाइमेट चेंज मिटिगेशन टेक्नोलॉजी और साइबर फिजिकल सिस्टम जैसे उभरते क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व के रूप में भारत को स्थापित करने के लिए पहल की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री के 75वें स्वतंत्रता दिवस भाषण का उल्लेख करते हुएडॉ सिंह ने कहा, “हमें भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष के अवसर को केवल एक समारोह तक सीमित नहीं रखना चाहिए। हमें नये संकल्पों की नींव रखनी चाहिए और नये संकल्पों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। अगले 25 वर्षों की यात्रा पूरी करके, जब हम भारतीय स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहे होंगे, तो वह नये भारत के निर्माण की अमृत-अवधि का प्रतीक होगा।”डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जीवन के सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार से ही अगले 25 वर्षों के लिए कार्ययोजना निर्धारित की जाएगी।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रत्येक क्षेत्र में तेजी से उभर रहा हैऔर प्रौद्योगिकी भारत के हर घर में प्रवेश कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सच्ची सफलता का आकलन अधिकांश भारतीय नागरिकों को “ईज ऑफ लिविंग” का आनंद लेने में मदद करके किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर टीडीबी की पत्रिका का भी विमोचन किया।

इस कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सचिव एवं वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक तथा टीडीबी बोर्ड सदस्य डॉ. शेखर सी. मांडे, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के सचिव राजेश कुमार पाठक, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के निदेशक राजेश जैन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा शामिल थे। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित किया। डॉ कृष्णा एला, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, भारत बायोटेक तथा युवा उद्यमी अक्षता कारी, सह-संस्थापक एवं सीओओ, कोको लैब ने भी व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम को संबोधित किया।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के विजय राघवन ने कहा कि “टीडीबी लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसने दिखाया है कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में नये प्रकार के नवाचारों को भी बढ़ाया जा सकता है।” डीएसटीऔर डीबीटीसचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए टीडीबी के प्रयासों का उल्लेख किया। जबकि, डीएसआईआर सचिव, सीएसआईआर के महानिदेशक एवं टीडीबी बोर्ड के सदस्य डॉ. शेखर सी मांडे ने अब तक किए गए टीडीबी के प्रयासों के साथ ही भारत के भविष्य के लिए उनके महत्व को रेखांकित किया। डीएसटी के पूर्व सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने समाज के लाभ के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के नये और उभरते क्षेत्रों के दोहन में टीडीबी की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया।

डॉ. वी.के. सारस्वत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में अनुसंधान एवं विकास का पारिस्थितिकी तंत्र परिवर्तित हुआ है, और अब अनुसंधान की व्यवहार्यता और उसके व्यावसायीकरण पर अधिक जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, भारत में 5,000 से अधिक स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं, जिनमें से लगभग 50 महिला उद्यमियों के नेतृत्व में चलाए जा रहे हैं। डॉ. सारस्वत ने कहा कि अब तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी भारतीय नवाचारों और भारत में अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं की स्थापना हेतु निवेश के लिए आगे आ रही हैं, जो एक स्वागत योग्य बदलाव है।(इंडिया साइंस वायर)

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