टेक्नोलॉजीविज्ञान

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की गुत्थियां सुलझाएगा नया रेडियो सीरियल

नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जिसे कृत्रिम बौद्धिकता के नाम से जाना जाता है, हमारे दैनिक जीवन का अंग बन चुकी है, और उससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से  प्रभावित कर रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग और इस पर आधारित बुद्धिमान मशीनें बनाने से संबंधित विज्ञान एवं इंजीनियरिंग से लेकर बुद्धिमतापूर्ण कंप्यूटर प्रोग्राम जैसे विषयों पर केंद्रित चर्चाएं एवं रोचक कार्यक्रम अब रेडियो पर सुने जा सकेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित एक नये रेडियो धारावाहिक का प्रसारण 28 फरवरी से ऑल इंडिया रेडियो पर किया जाएगा। 52 एपिसोड के इस धारावाहिक का प्रसारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार और ऑल इंडिया रेडियो की संयुक्त पहल के तहत किया जा रहा है।

इस परियोजना के संयोजक एवं विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बी.के. त्यागी ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस धारावाहिक के प्रसारण का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की बढ़ती भूमिका को देखते हुए इसके बारे में जागरूकता का व्यापक प्रचार-प्रसार करना है। धारावाहिक का प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो के 121 स्टेशनों से किया जाएगा, जिसमें 14 एफएम स्टेशन और 107 मीडियम वेव स्टेशन शामिल हैं। अंग्रेजी एवं हिंदी समेत कुल 19 भाषाओं में इस धारावाहिक का प्रसारण किया जाएगा, जो देश के 85 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को कवर करेगा। 28 फरवरी से हर रविवार को इंद्रधनुष चैनल पर हिंदी में सुबह 09:10 बजे एवं अंग्रेजी में रात 09:10 बजे यह धारावाहिक प्रसारित किया जाएगा। अन्य भाषाओं के प्रसारण का समय जल्दी ही घोषित किया जाएगा। इस संबंध में अधिक जानकारी अपने नजदीकी रेडियो स्टेशन से मिल सकती है।”

धारावाहिक में पाँच से छह व्यापक खंड होंगे जिनमें प्रत्येक में छह/ सात एपिसोड शामिल होंगे। करके प्रत्येक खंड का समापन एपिसोड संवादात्मक होगा, जिसमें श्रोताओं के प्रश्नों का उत्तर विषय-विशेषज्ञों द्वारा दिया जाएगा। कार्यक्रम डॉक्यूड्रामा के (वास्तविक घटनाओं पर आधारित एक नाटकीय टेलीविजन फिल्म) प्रारूप में होगा। धारावाहिक के विषयों में, एआई विज्ञान के विभिन्न आयाम, सामाजिक क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता, भारत तथा दुनियाभर में एआई अनुसंधान एवं विकास, साहित्य में एआई, और इससे संबंधित संभावित चिंताएं और आशंकाएं शामिल हैं। 18 राज्यों से आकाशवाणी के 300 से अधिक विज्ञान लेखक, विषय विशेषज्ञ और कार्यक्रम निर्माता धारावाहिक के निर्माण और प्रसारण से जुड़े हैं। संवादात्मकता सुनिश्चित करने के लिए, प्रत्येक एपिसोड के अंत में दो प्रश्न श्रोताओं के लिए रखे जाएंगे। सही उत्तर देने पर चयनित विजेताओं को पुरस्कार-स्वरूप विज्ञान प्रसार की पुस्तकें और किट दी जाएंगी।

डॉ त्यागी ने बताया कि “रेडियो कार्यक्रमों के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी विषयों के प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञान प्रसार वर्ष 2008 से निरंतर कार्य कर रहा है। इसके लिए, विज्ञान प्रसार और प्रसार भारती के बीच करार किया गया है, जिसके अंतर्गत ऑल इंडिया रेडियो के सहयोग से विज्ञान धारावाहिकों का निर्माण और प्रसारण किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विज्ञान प्रसार द्वारा पहले भी, व्यापक महत्व के विभिन्न विज्ञान विषयक धारावाहिकों का निर्माण और प्रसारण किया गया है। इन धारावाहिकों में, ‘पृथ्वी ग्रह’, ‘खगोल-विज्ञान’, ‘जैव विविधता’, ‘गणित’, ‘मूलभूत नवाचार’, ‘दैनिक  जीवन में रसायन विज्ञान’, ‘आपदाएं’, ‘सतत विकास एवं जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग’ इत्यादि शामिल हैं।” (इंडिया साइंस वायर)

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