गंगा की सूक्ष्मजीव विविधता की मैपिंग कर रहे हैं वैज्ञानिक
नई दिल्ली: वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की नागपुर स्थित प्रयोगशाला राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधानसंस्थान (नीरी) के शोधकर्ता गंगा नदी की सूक्ष्मजीव विविधता का पता लगाने के लिए ज्योग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आधारित मैपिंग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मैपिंग की यह प्रक्रिया नदी की पारिस्थितिकी को समझने में सहायक हो सकेगी।
गंगा के समूचे प्रवाह क्षेत्र की मैपिंग से जुड़ी इस परियोजना को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस परियोजना में चार अन्य संस्थान – मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद, चारुतर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी, आणंद, फिक्सजेन प्राइवेट लिमिटेड, हरियाणा और एकसेलेरिस लैब्स लिमिटेड, अहमदाबाद भी शामिल हैं।
सीएसआईआर-नीरी की वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक एवं संस्थान में डायरेक्टर्स रिसर्च सेल (डीआरसी) की प्रमुख डॉक्टर आत्या कापले ने बताया कि “इस परियोजना में हाई थ्रोपुट मेटा-जीनोम सीक्वेंसिंग एनालिसिस के माध्यम से गंगा नदी तंत्र की सूक्ष्मजीवी विविधता का मानचित्रण किया जा रहा है। यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसमें देवप्रयाग में गंगा के उद्गम स्थल से डायमंड हार्बर तक गंगा नदी में सूक्ष्मजीव विविधता की मैपिंग की जा रही है, जहाँ यह नदी समुद्र में जाकर मिलती है।”
मैपिंग का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी की सूक्ष्मजीव विविधता का एक डेटाबेस तैयार करना है, जो जीआईएस और सीएसआईआर-नीरी की वेबसाइट पर सभी के लिए उपलब्ध होगा। सरकार, शोधार्थी और विशेषज्ञ अपने शोधों के लिए इस डेटा का उपयोग कर सकते हैं। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जल गुणवत्ता को मापने के लिए बीओडी, सीओडी, पीएच, बीओ और भारी धातुओं जैसे मापदंडों का आकलन किया। आत्या कापले इस परियोजना की समन्वयक हैं।
डॉक्टर कापले कहती हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में गंगा की सूक्ष्मजीवीय अवस्था की रपट उपलब्ध हैं। जैसे- हरिद्वार क्षेत्र, वाराणसी और देवप्रयाग जैसे क्षेत्रों की अलग-अलग रिपोर्ट तो मौजूद हैं।लेकिन, नदी के आरंभ से लेकर समुद्र में उसके समागम स्थल तक की कोई एक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।
यह अध्ययन नदी के पर्यावास में रहने वाले सूक्ष्मजीवों की पहचान स्पष्ट करने में सहायक होगा।इस पहल से नदी की सेहत सुधारने से संबंधित प्रयासों को मजबूत बनाया जा सकेगा। डॉक्टर कापले ने बताया कि इस अध्ययन के पहले चरण में विभिन्न स्थानों से सूक्ष्मजीवों के 189 नमूने इकट्ठा किए गए हैं। (इंडिया साइंस वायर)