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व्यावसायिक उत्पादन के लिए हस्तांतरित सीएसआईआर की जल शोधन तकनीक

नई दिल्ली: बढ़ते जल-प्रदूषण पर अंकुश लगाने के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चत करना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए लगातार नये तरीके तलाशे जा रहे हैं। इस दिशा में कार्य करते हुए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की दुर्गापुर स्थित प्रयोगशाला केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमईआरआई) के वैज्ञानिकों ने हाई फ्लो रेट डी-फ्लोराइडेशन प्लांट की प्रौद्योगिकी विकसित की है। हाल में यह प्रौद्योगिकी व्यावसायिक उत्पादन के लिए पुणे की कंपनी यूनिकेयर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की गई है।

सीएमईआरआईद्वारा जारी वक्तव्य में बताया गया है कि यह प्रौद्योगिकी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों पर आधारित है। दूषित जल की समस्या को दूर करने के लिए सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित की गई हाई फ्लो रेट डी-फ्लोराइडेशन प्लांट की तकनीक को काफी प्रभावी बताया जा रहा है। इस प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि यह संयत्र प्रति घंटे 5000 से10,000 लीटर तक पानी से उच्च प्रवाह दर से आर्सेनिक हटाने की क्षमता रखता है।

तकनीक हस्तांतरण समारोह में सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) हरीश हिरानी और यूनिकेयर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।सीएसआईआर-सीएमईआरआई देशभर में अब तक 62 से अधिक जल प्रौद्योगिकियों को व्यावसायिक उत्पादन के लिए हस्तांतरित कर चुका है। इस पहल के अंतर्गत संस्थान की कोशिश किफायती एवं प्रभावी जल-शोधन तकनीकों को सर्वसुलभ बनाने के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दर्जे के उद्यमों को प्रोत्साहित करने की भी रही है। इसीलिए, सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा व्यावसायिक उत्पादन के लिए अधिकतर प्रौद्योगिकियां इसी तरह के उद्यमों को हस्तांतरित की जाती हैं।

प्रोफेसर (डॉ.) हिरानी ने कहा कि “सीएसआईआर-सीएमईआरआईपर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न रूपों से निपटने के लिए नवीन संसाधन विकसित करने में जुटा है, जिनमें जल प्रदूषण शामिल है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई लगातार पीने के पानी, खेती आदि के लिए जल की सतत् पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सस्ती जल प्रौद्योगिकियों के विकास में लगा हुआ है।”

प्रोफेसर (डॉ.) हिरानी ने बताया कि इन प्रौद्योगिकियों के औद्योगिकीकरण एवं व्यावसायीकरणके पीछे संस्थान का दृष्टिकोण युवाओं के कौशल विकास, स्थानीय संसाधनों के उपयोग, और ज्ञान को साझा करने पर आधारित है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई की जल प्रौद्योगिकी से देशभर में दस लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं। संस्थान के औद्योगिक भागीदार अधिकतम राष्ट्रीय आउटरीच सुनिश्चित करने के लिए देशभर में फैले हुए हैं।(इंडिया साइंस वायर)

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