राष्ट्रीय समाचारविज्ञान

खगोलविदों के नये अध्ययन से खुल सकते हैं तारों से जुड़े रहस्य

नई दिल्ली: सितारों की चमकीली और रहस्यमयी दुनिया खगोलविदों के लिए हमेशा एक पहेली रहीहै। सितारों के अवलोकन के दौरान लीथियम की प्रचुरता और सैद्धांतिक रूप से उसकी अनुमानित राशि के बीच विसंगति लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए एक उलझन बनी हुई है। एक नये अध्ययन में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के वैज्ञानिकों को कुछ हद तक यह गुत्थी सुलझाने में सफलता मिली है।

आईआईएके वैज्ञानिकों ने कम द्रव्यमान वाले रेड क्लंपस्टार्स (लाल गुच्छ तारों) में लीथियम उत्पादन के तंत्र का पता लगाया है। कम द्रव्यमान वाले रेड क्लंप जाइंट्स (लाल गुच्छ भीमकाय तारों) में सामान्य तौर पर लीथियम की अधिकताका पता लगाने के बाद अब उन्होंनेतारे के उद्भव एवं विकास की प्रक्रिया में उच्च लीथियम उत्पादन के पड़ाव के रूप में हीलियम (एचई) फ्लैशिंग चरणकी पड़ताल भी की है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह चरण लगभग 20 लाख वर्षोंतक चलता है। इस दौरान केंद्रीय स्तर पर एचई कोर वाले आरजीबी जाइंट्स रेड एचई-कोर ज्वलन वाले रेड क्लंप जाइंट्स बन जाते हैं।

बेंगलुरु स्थित आईआईए के खगोलविदों को20 लाख वर्षों के हीलियम-फ्लैशिंग चरण के दौरान लीथियम को लेकर कुछ अहमतथ्य मिले हैं। उन्होंने इस प्रक्रिया के बाद इन तारों में लीथियम अधिशेष में कमी की भी थाह ली। हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार, इन भीमकाय तारों में लीथियम को लेकर उतार-चढ़ाव एक क्षणिक परिघटना है।

इस अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्तारघुबर सिंह ने कहा है कि“अभी तकहमें हीलियम फ्लैश चरणको लेकर भी बहुत गहन जानकारी नहीं है।ऐसे में, ये नये परिणाम भविष्य के शोध-अनुसंधानों के साथ-साथ सैद्धांतिक प्रतिरूपों को भी प्रेरित करने का काम करेंगे।”

प्रोफेसर ईश्वर रेड्डी ने कहा है कि इस शोध के निष्कर्ष सिद्धांतकारों और विश्लेषकों के व्यापक वर्ग के लिए उपयोगी और दिलचस्पी वाले होंगे। इससे तारों की आंतरिक कार्यप्रणाली को समझने में सहायता मिल सकती है।

आईआईए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान है। इस शोध की कमान रघुबर सिंह और प्रोफेसर ईश्वर रेड्डी के हाथों में थी, जिन्हें कुछ विदेशी वैज्ञानिको का भी साथ मिला है। यह शोध ‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटर्स’ में प्रकाशित किया गयाहै।(इंडिया साइंस वायर)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button