अभिषेक ने कड़ी मेहनत और लगन से किस्मत को पलट कर रख दिया
आजकल के दौर में जहां कई युवा अपनी किस्मत के आगे हिम्मत हार जाते हैं और निराश होकर खुद को किस्मत के भरोसे छोड़ देते हैं। वही आज के जमाने में भी कई ऐसे भी लोग हैं जो अपनी मेहनत और काबिलियत से किस्मत को भी बदलने की चाह रखते हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है अभिषेक कुमार की, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत किस्मत को भी बदल कर रख दिया।
अभिषेक कुमार का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिला में हुआ। बचपन से ही वह पढ़ाई में बहुत अव्वल रहे थे। अभिषेक के पिता खादी विभाग में अकाउंटेंट रह चुके हैं, जिनकी वजह से उनका ट्रांसफर कई जिलों में होते रहता था। अभिषेक ने अपनी मैट्रिक का परीक्षा बिहार के कैमूर जिले के भभुआ से दिया था, जहां उन्हें काफी अच्छे अंक भी मिले थे। इसके बाद अपने पिता के ट्रांसफर होने की वजह से अभिषेक वापस अपने होमटाउन मुजफ्फरपुर आ गए। यहां उन्होंने अपने पढ़ाई को आगे बढ़ाते हुए कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
मैट्रिक में अच्छे मार्क्स होने के कारण उनको मुजफ्फरपुर के सबसे अच्छे कॉलेज लंगट सिंह कॉलेज में आराम से एडमिशन हो गया। मध्यम वर्गीय परिवार होने के बावजूद अभिषेक ने काफी मेहनत की और इंटरमीडिएट में भी अच्छे नंबर हासिल किए। इसके बाद भी उनके पढ़ने का जुनून लगातार जारी रहा। खुद की पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने बच्चों को होम ट्यूशन भी देना चालू किया। उन्होंने बाबा भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद उन्होंने B.Ed और पोस्ट ग्रेजुएशन भी पढ़ाई पूरी की।
अभिषेक ने पढ़ाई के साथ साथ बैंक, SSC, रेलवे और न जाने कितने कंपटीशन की तैयारी भी की, लेकिन हर परीक्षा में उनकी किस्मत धोखा दे जाती थी। किसी परीक्षा में वह 2-3 नंबर से चूक जाते थे तो किसी परीक्षा में तबीयत खराब होने की वजह से वह भाग नहीं ले पाते थे। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते चले गए।
साल 2021 में बिहार में शिक्षक नियोजन की बहाली आई, चूँकि अभिषेक ने B.Ed की डिग्री ले रखी थी, उन्होंने इस बहाली में बहुत सारे जगह के लिए अप्लाई कर दिया। इस नियोजन में भी बहुत सारे धांधली होने के वजह से ज्यादातर जगहों पर मेधा सूची में इनका नाम बहुत नीचे था, जिसके वजह से किसी भी जगह अभिषेक को चयनित नहीं किया गया, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और हर एक प्रखंड और पंचायत में भाग लिया। आखिरकार किस्मत को भी उनके आगे झुकना पड़ा और इस चयन की आखिरी प्रक्रिया में अभिषेक को मुजफ्फरपुर जिला के मोतीपुर प्रखंड में चयनित कर लिया गया।
अभिषेक कुमार की मां एक गृहिणी है, जिनकी बहुत सालों से इच्छा थी कि उनके बेटे को कोई सरकारी नौकरी मिले। अभिषेक ने लगभग 30 साल की उम्र में सरकारी नौकरी पाकर अपने मां के अरमानों को पूरा कर दिया। एक कहावत कही गई है कि अगर इंसान किसी काम को शिद्दत से करना चाहे तो वाह किस्मत को भी पलट कर रख सकता है। अभिषेक ने अपने इच्छा शक्ति से इस बात को साबित कर दिया।