स्वास्थ्य

भारत में 18% मौतें वायु प्रदूषण के कारण: रिपोर्ट

नई दिल्ली : वायु प्रदूषण के खतरों को अनदेखा करना घातक हो सकता है। मशहूर शोध पत्रिका द लैंसेट द्वारा जारी एक ताजा रिपोर्ट तो कम से कम यही कहती है। द लैंसेट की इस रिपोर्ट में वर्ष 2019 के दौरान भारत में 16.7 लाख मौतों के लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों का यह आंकड़ा पिछले साल देश में हुई कुल मौतों के 18 प्रतिशत के बराबर है। 

सेहत के साथ-साथ वायु प्रदूषण की मार अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रही है। वर्ष 2019 में वायु प्रदूषण के कारण हुई मौतों और बीमारियों के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 2.60 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जो देश की जीडीपी का करीब 1.4 प्रतिशत है। लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण से होने वाला नुकसान देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र के राज्यों में अधिक देखा गया है। वायु प्रदूषण की सबसे अधिक मार उत्तर प्रदेश और बिहार पर पड़ी है। उत्तर प्रदेश को राज्य के जीडीपी का 2.2% और बिहार को अपने जीडीपी का 02% प्रतिशत हिस्सा वायु प्रदूषण के कारण गंवाना पड़ा है।

“द इंडिया स्टेट लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव” नामक इस रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के घरेलू (इनडोर) और बाहरी (आउटडोर) स्रोतों से होने वाले स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू वायु प्रदूषण के कारण रोगों का बोझ कम हो रहा है। हालांकि, बाहरी या परिवेशीय वायु प्रदूषण से रोगों में वृद्धि हो रही है। वर्ष 1990 से 2019 के बीच देश में घरों के भीतर वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में 64.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, बाहरी परिवेश में वायु प्रदूषण से मृत्यु दर इस अवधि में 115 फीसदी बढ़ी है। इसके अलावा, कोविड-19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन में वायु गुणवत्ता में काफी सुधार देखा गया है। 

द लैंसेट के मुताबिक, वर्ष 2017 में हुई 12.4 लाख मौतों से तुलना करें, तो वर्ष 2019 में 16.7 लाख जिंदगियां लेने वाला वायु प्रदूषण कहीं अधिक जानलेवा साबित हुआ है। प्रदूषण के कारण क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी रोग, श्वसन तंत्र में संक्रमण, फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज, नियोनेटल डिसऑर्डर और मोतियाबिंद जैसी बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं।

वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर देश की राजधानी पर पड़ा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण प्रति व्यक्ति आय के मामले में दिल्ली को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। इसके बाद हरियाणा का नंबर आता है। वर्ष 2019 में दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में करीब 4,578 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय में करीब 3,973 रुपये की कमी आयी है। 

नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद पॉल ने कहा है कि यह अध्ययन भारत में वायु प्रदूषण पर केंद्रित नवीनतम तथ्य प्रस्तुत करता है, जो स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह शोध वायु प्रदूषण की प्रवृत्तियों और राज्यों की वर्तमान स्थिति का मजबूत लेखा-जोखा पेश करता है, और बताता है कि राज्यों की विशिष्ट स्थिति के आधार पर वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को बढ़ाना होगा।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा है कि ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ और ‘उन्नत चूल्हा अभियान’ जैसी योजनाओं ने देश में घरेलू वायु प्रदूषण कम करने में मदद की है। (इंडिया साइंस वायर)

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